0.5 C
New York
December 23, 2024
indianlawtimes.com
कानून जानो शीर्ष आलेख

एनडीपीएस एक्ट (नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985)

एनडीपीएस एक्ट

एनडीपीएस एक्ट  (नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985)

मुंबई से निकली नशे की चिंगारी अब छत्तीसगढ़ के छोटे – छोटे शहरो तक पहुंच चुकीं है ,कई युवा अभी भी लगातार नशे की गिरफ्त में आ रहे है , आइये आज जानते है हम, भारत के सबसे कड़े कानूनों में से एक एनडीपीएस एक्ट  (नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985) के बारे में, जानिए हमारा कानून के कालम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रंजीत मिश्रा से

 

भारतीय संसद में 1985 में एनडीपीएस एक्ट पारित किया गया, जिसका पूरा नाम नारकोटिक्स ड्रग्स साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 है। नारकोटिक्स का अर्थ नींद से है और साइकोट्रोपिक का अर्थ उन पदार्थों से है जो मस्तिष्क के कार्यक्रम को परिवर्तित कर देता है। कुछ ड्रग और पदार्थ ऐसे है जिनका उत्पादन और विक्रय ज़रूरी है, लेकिन उनका अनियमित उत्पादन तथा विक्रय नहीं किया जा सकता। उन पर सरकार का कड़ा प्रतिबंध होता है और रेगुलेशन है, क्योंकि ये पदार्थ अत्यधिक मात्रा में उपयोग में लाने से नशे में प्रयोग होने लगते हैं, जो मानव समाज के लिए बहुत बड़ी त्रासदी सिद्ध हो सकती है। ऐसी त्रासदी से बचने के लिए विश्व के लगभग सभी देशों द्वारा इस तरह के अधिनियम बनाए गए हैं।

एनडीपीएस अधिनियम के बनने से पहले भी समस्त भारत के लिए कुछ अधिनियम थे जो इन पदार्थों का नियमन करते थे। जैसे डेंजरस ड्रग्स अधिनियम 1930 था। सभी अधिनियम को समाप्त कर एक अधिनियम बनाया गया, जिसका नाम एनडीपीएस एक्ट 1985 रखा गया। यह अधिनियम इन पदार्थ और ड्रग्स के संबंध में पूरी व्यवस्थित प्रकिया और दंड का उल्लेख करता है।

यूएन सम्मेलन के बाद एनडीपीएस एक्ट

कई यूनाइटेड नेशन और यूनाइडेट स्टेट के सम्मेलनों में एनडीपीएस एक्ट बनाये जाने पर यूएन द्वारा ज़ोर दिया गया है तथा कठोरतापूर्वक इस अधिनियम को अधिनियमित किये जाने पर बल दिया है, उसके परिणामस्वरूप भारत समेत कई राष्ट्रों के ऐसे कानून तैयार किये हैं

एनडीपीएस एक्ट में प्रतिबंधित ड्रग्स

 अधिनियम के द्वारा एक अनुसूची दी गयी है। उस अनुसूची में केंद्रीय सरकार उन ड्रग्स को सम्मलित करती है जो नशे में प्रयोग होकर मानव जीवन के लिए संकट हो सकते है। इन ड्रग्स का उपयोग जीवन बचाने हेतु दवाई और अन्य स्थानों पर होता है, परन्तु इनका अत्यधिक सेवन नशे में प्रयुक्त होता है, इसलिए इन्हें पूर्ण रूप से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता परन्तु इनका नियमन अवश्य किया जा सकता है। कोका प्लांट्स, कैनाबिस, ओपियम पॉपी जैसे पौधे इसमे शामिल किए गए हैं

मात्रा का महत्व

इस अधिनियम में मात्रा के द्वारा ही दंड का प्रावधान किया गया है। मात्रा को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमे,अल्पमात्रा और वाणिज्यिक और इन दोनों के बीच की मात्रा है। दंड भी इन तीन स्तरों पर ही होगा।

 1. अल्पमात्रा के लिए एक वर्ष तक का कारावास और जुर्माना जो दस हजार तक का हो सकेगा।

2. अल्पमात्रा और वाणिजियक मात्रा के बीच की मात्रा के लिए दस वर्ष तक का कारावास और जुर्माना जो एक लाख तक का हो सकेगा।

3. वाणिज्यिक मात्रा में बीस वर्ष तक का कारावास और कम से कम एक लाख तक का जुर्माना जो दो लाख तक का हो सकता है। मात्रा का निर्धारण समय समय पर केंद्र द्वारा किया जाता रहता है। यहां अगर भारत के सीमा क्षेत्र के भीतर व्यक्ति के पास यदि एक ग्राम भी अफीम इस अधिनियम के अधीन बनाये नियम या दिए आदेश के अंतर्गत अनुज्ञप्ति के बगैर पायी जाती है तो भी वह दोषी होगा। ऐसे मामले में वह अल्पमात्रा का दोषी माना जाएगा। इन पदार्थों और ड्रग्स का लगभग हर रूप प्रतिबंधित किया गया है और शास्ति रखी गयी है- अधिनियम के अंतर्गत अनुसूची में डाले गए पदार्थो का निर्माण, मैन्यूफेक्चरिंग, कृषि, प्रकिया, क्रय, विक्रय, संग्रह, आयात, निर्यात, परिवाहन और यहां तक उपभोग भी प्रतिबंधित किया गया है। इस ही के साथ उपभोग पर भी दंड रखा गया है।

                                        इस अधिनियम में है मृत्युदंड तक का प्रावधान

 इस अधिनियम में मृत्युदंड का भी प्रावधान रखा गया है। अधिनियम की धारा 31 A के अंतर्गत एक बार सिद्धदोष ठहराए जाने के बाद पुनः उस तरह का अपराध किया जाता है तो मृत्युदंड भी दिया जा सकता है। अधिनियम के अंतर्गत अपराधों का प्रयास, तैयारी,उत्प्रेरणा,षड़यंत्र, उपभोग और फाइनेंस को भी अपराध बनाया गया है।और इन सभी के लिए वही दंड है जो इन अपराधों के लिए दंड रखा गया है।

तीन प्रमुख पौधे

अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रमुख पौधे हैं, जिनकी खेती, परिवहन, आयात, निर्यात, संग्रह, क्रय, विक्रय, उत्पादन, कब्ज़ा और उपभोग अनुज्ञप्ति और इस अधिनियम के अंतर्गत किसी आदेश के बगैर दंडनीय है।

कोका का पौधा इस पौधे से मुख्यता कोकेन प्राप्त की जाती है। कोकेन अत्यधिक नशीली होती है।

कैनाबिस का पौधा इसे सामान्यता भांग का पौधा भी कहा जाता है। इस ही पौधे की फूल,पत्तियों और तने को सुखाकर गांजा बनाया जाता है। भांग केवल पत्तियों से तैयार हो जाती है। इस पौधे की मादा प्रजाति से एक गोंद जैसा द्रव निकलता है जिससे चरस बनती है।

पोस्त का पौधा- इसे अफीम के पौधे के नाम से जाना जाता है। इस पौधे की पत्तियां नशीली नहीं होती है। इसका एक फल होता है जिसे डोडा कहा जाता है। डोडा पर चाकू मारने से दूध जैसा द्रव निकलता है जो सूखने पर अफीम बनता है। डोडा के भीतर दाने होते है जिन्हें खस खस के दाने कहा जाता है वह नशीले नहीं होते हैं, उन्हें मेवों में इस्तेमाल किया जाता है, जो सूखा हुआ ऊपर खोल बचता है उसे डोडा चूरा कहा जाता है जो नशीला होता है लेकिन अफीम से कम।

इस ही पौधे से अत्यधिक आवश्यक औषधि मॉर्फिन प्राप्त की जाती है जो दर्द निवारक और नींद के लिए प्रयुक्त होती है।

                  विशेष न्यायालय

इस अधिनियम की धारा 36 के अंतर्गत विशेष न्यायालय से गठन किया गया है। उन ही न्यायालय द्वारा यह मामले विचारित किये जाते हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य नशे के कारोबार पर सख्ती से अंकुश लगाना है और इसीलिए विशेष न्यायालय बनाए गए हैं।

                                  अपराधी परिवीक्षा का लाभ नहीं मिलना

अधिनियम के अंतर्गत सिद्धदोष व्यक्ति को अपराधी परिवीक्षा एवं दंड प्रकिया सहिंता 1973 की धारा 360 का लाभ नहीं मिलेगा।





Related posts

Service of order on the driver of vehicle is not allowed as per section 169(1) of CGST Act and therefore period of limitation for filing appeal shall start from the date when petitioner obtained the copy of order and not when the order is served on driver: Says High Court

Adv.Ranjit Mishra

जानिए दण्ड प्रक्रिया संहिता (Crpc) के बारे में विस्तार से

Adv.Ranjit Mishra

जानिए अदालत में चेक बाउंस केस लगाने की पूरी प्रक्रिया

Adv.Ranjit Mishra

दहेज मृत्यु-धारा 304 बी के तहत दोष नहीं हो सकता, यदि यह स्थापित ना हो कि मृत्यु का कारण अप्राकृतिक थाः सुप्रीम कोर्ट

Adv.Ranjit Mishra

Sale of owner’s share of property, developed in collaboration with developer, is not liable to GST if entire consideration is received after issuance of completetion certificate: AAR

Adv.Ranjit Mishra

मुस्लिम के लिए एक से ज्यादा शादी का मामला सुप्रीम कोर्ट में, IPC और शरीयत कानून को गैर संवैधानिक घोषित करने की गुहार

Adv.Ranjit Mishra

Leave a Comment